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हाइलाइट्स
कार्ड बैलेंस जीरो होने से लिमिट कम हो सकती है.
बार-बार अधिकतम इस्तेमाल से क्रेडिट स्कोर घट सकता है.
कार्डधारक की वित्तीय इमेज पर भी नकारात्मक असर होता है.
नई दिल्ली. पैसों की जरूरत के समय के लिए क्रेडिट कार्ड आपकी काफी मदद कर सकता है. शॉपिंग के लिए पैमेंट करने का यह पसंदीदा माध्यम बन गया है. क्रेडिट कार्ड पर 45 दिनों से लेकर 90 तक ब्याज रहित क्रेडिट ग्राहकों को मिल सकता है. यही वजह है क्रेडिट कार्ड का खूब इस्तेताल हो रहा है और कुछ लोग तो दिल खोलकर इससे खरीदारी करते है. लेकिन अगर आपके पास ये है तो आपको कुछ बातों का ध्यान भी रखना होता है. ऐसी ही ध्यान रखने वाली एक चीज है क्रेडिट कार्ड का बैलेंस.
हर क्रेडिट कार्ड की एक लिमिट होती है. लिमिट का मतलब उस सीमा है जिसके बराबर क्रेडिट कार्ड होल्डर अपने कार्ड से अधिकतम खर्च कर सकता है. क्रेडिट लिमिट तय करने का कोई सर्वमान्य तरीका नहीं है. क्रेडिट कार्ड की लिमिट तय करने के लिए बैंक अलग-अलग कसौटियों को अपनाते हैं. आपको भी अपने क्रेडिट कार्ड की लिमिट पता होनी. साथ ही आपको कभी भी अपनी क्रेडिट कार्ड का इस्तेमाल उसकी अधिकतम सीमा से ज्यादा नहीं करना चाहिए. आइये, जानते हैं कि क्रेडिट कार्ड का बैलेंस जीरो रखने के क्या नुकसान हैं.
खराब हो सकता है क्रेडिट स्कोर
कभी भी अपनी क्रेडिट लिमिट का पूरा इस्तेमाल न करें. अगर आप क्रेडिट लिमिट का पूरा इस्तेमाल होने से क्रेडिट यूटिलाइजेशन रेश्यो बढ़ जाती है. इसका नकारात्मक असर क्रेडिट कार्ड होल्डर के क्रेडिट स्कोर (credit score) पर होता है. क्रेडिट स्कोरिंग एजेंसियां क्रेडिट यूटिलाइजेशन रेश्यो (Credit Utilization Ratio) निर्धारित करती हैं. इससे कार्डधारक के लोन लेने का पता चलता है.
घट सकती है क्रेडिट लिमिट
अगर कोई क्रेडिट कार्डहोल्डर बार-बार क्रेडिट बैलेंस जीरो करता है तो ऐसे ग्राहक की क्रेडिट लिमिट बैंक कम भी कर देते हैं. अगर क्रेडिट लिमिट घट जाती है तो क्रेडिट स्कोर अपने आप ही कम हो जाता है. क्रेडिट स्कोर को जीरो पर ज्यादा दिनों तक नहीं रखना चाहिए. अगर कोई कस्टमर लंबे समय तक ऐसा करता है तो बैंक के पास उसका कार्ड इनएक्टिवेट करने का अधिकार होता है.
वित्तीय इमेज पर नकारात्मक असर
अगर कोई कार्डहोल्डर लगातार अपनी क्रेडिट कार्ड बैलेंस जीरो करता है तो इससे कार्डहोल्डर की वित्तीय इमेज पर नकारात्मक असर पड़ता है. इससे बैंक और क्रेडिट स्कोर एजेंसियां यह धारणा बना लेती है कि कार्ड होल्डर बहुत ज्यादा खर्चीला है और उसे खर्च का प्रबंधन करना नहीं आता.
कैश लिमिट का भी रखें ख्याल
क्रेडिट लिमिट की तरह ही क्रेडिट कार्ड की कैश लिमिट भी होती है. इसका अर्थ यह है कि आप क्रेडिट कार्ड से कितनी नकदी निकलवा सकते हो. इस लिमिट का बैलेंस भी कभी जीरो नहीं करना चाहिए. अगर बार-बार आप ऐसा करेंगे तो आपका क्रेडिट स्कोर प्रभावित होगा. इससे आपको भविष्य में लोन लेने में दिक्कत होगी.
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Tags: Business news in hindi, Credit card, Credit card limit, Personal finance
FIRST PUBLISHED : January 26, 2024, 07:26 IST
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