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हाइलाइट्स
एफपीआई ने शेयरों से पैसा जमकर निकाला है.
डेट या बॉन्ड मार्केट में उतना ही पैसा डाला है.
एफपीआई का निवेश मार्केट के लिए अच्छी खबर होता है.
नई दिल्ली. विदेशी पोर्टफोलियो निवेशकों (एफपीआई) ने इस महीने अबतक काफी सतर्क रुख अपनाते हुए भारतीय शेयर बाजारों से 16,601 करोड़ रुपये से निकाल लिए हैं. यह आंकड़ा NSDL की वेबसाइट पर मौजूद जानकारी पर आधारित है. हालांकि, बॉन्ड मार्केट में विदेशी निवेशकों की रुचि बढ़ी है. एफपीआई ने अब तक डेट या बॉन्ड मार्केट में 16232 करोड़ रुपये का निवेश कर दिया है. लेकिन विदेशी निवेशक ऐसा कर क्यों कर रहे हैं.
जानकारों की मानें तो भारतीय शेयरों के ऊंचे मूल्यांकन की वजह से शेयरों में बिकवाली देखने को मिल रही है. दूसरी ओर, अमेरिका के बॉन्ड मार्केट में रिटर्न बढ़ा है इस वजह से भी वे यहां से पैसा निकाल रहे हैं. लेकिन वह भारतीय डेट मार्केट को लेकर भी उतने ही उत्साहित दिख रहे हैं. इसलिए उन्होंने 23 जनवरी तक भारतीय बॉन्ड मार्केट में 16232 करोड़ रुपये डाल दिए हैं.
क्या कहते हैं जानकार?
जियोजीत फाइनेंशियल सर्विसेज के मुख्य निवेश रणनीतिकार वी के विजयकुमार ने कहा, ‘‘एफपीआई की बिकवाली के दो कारण हैं। एक अमेरिका में बॉन्ड प्रतिफल बढ़ रहा है। 10 साल के बॉन्ड पर प्रतिफल 3.9 प्रतिशत के हालिया स्तर से बढ़कर 4.15 प्रतिशत हो गया है, जिससे उभरते बाजारों से पूंजी निकासी हो रही है.’’ उन्होंने कहा कि दूसरी वजह भारत में शेयरों का ऊंचा मूल्यांकन है। एफपीआई एचडीएफसी बैंक के उम्मीद से कमजोर नतीजों का हवाला देकर बड़े पैमाने पर बिकवाली कर रहे हैं.
इसके अलावा मॉर्निंगस्टार इन्वेस्टमेंट रिसर्च इंडिया के एसोसिएट निदेशक-प्रबंधक शोध हिमांशु श्रीवास्तव ने कहा कि एफपीआई की बड़े पैमाने पर बिकवाली की वजह एचडीएफसी बैंक के निराशाजनक तिमाही नतीजे हैं. उन्होंने भी कहा है कि एफपीआई ने नए साल की शुरुआत में सतर्क रुख अपनाते हुए ऊंचे मूल्यांकन की वजह से भारतीय शेयर बाजारों में मुनाफावसूली की है. आपको बता दें कि पिछले साल दिसंबर में एफपीआई ने शुद्ध रूप से 66,135 करोड़ रुपये भारतीय इक्विटी मार्केट में डाले थे. पिछले पूरे साल में शेयर बाजार में एफपीआई का निवेश 1.71 लाख करोड़ रुपये से अधिक था.
क्या होता है एफपीआई का असर
एफपीआई से भारत में विदेशी मुद्रा का प्रवाह बढ़ता है. बाजार में शेयरों की कीमतों पर इसका सीधा प्रभाव होता है. एफपीआई निवेश बढ़ने से बाजार में लिक्विडिटी बढ़ती है और शेयरों की कीमतें ऊपर की ओर जाती हैं. इससे घरेलू निवेशकों को लाभ मिलता है. विदेशी निवेश आने का एक मतलब यह भी होता है कि दुनिया का घरेलू बाजार पर भरोसा बढ़ रहा है और डोमेस्टिक मार्केट सही रास्ते पर है. सेंटीमेंट बेहतर होने की वजह से स्टॉक मार्केट ऊपर जाता है और अंतत: निवेशकों को इससे लाभ होता है. इसके अलावा घरेलू मुद्रा भी इससे मजबूत होती है.
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Tags: Business news in hindi, FPI, Stock market
FIRST PUBLISHED : January 23, 2024, 19:45 IST
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